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हाल भी.. सवाल भी..


हाल भी.. सवाल भी..

अदृश्य सी महामारी 

कुछ.. कहते, इसको जाल है। 

घायल हुआ, हर मकां मुल्क का 

ऐसा हुआ.. यहाँ पर हाल है। 


बचाव है.. दवाई भी 

जिसपे बेवजह सवाल है। 

यहाँ ज्ञान बंटे, सिर्फ खातों पर, 

बस यही तो इक बवाल है। 


आँख भरी, प्राणवायु खाली, 

रुकती साँसें भी, करतीं अब सवाल हैं। 

हुआ नहीं जो अब तक ऐसा, 

यहाँ.. अब ऐसा क्यों ये हाल है? 


महामारी में ये रैली कैसी? 

जाती जानों का ये अंतिम सवाल है।

 जीत बड़ी? या जाती जानें?

 हुक्मरानों तुमसे भी ये सवाल है। 


- अतुल कुमार